Tuesday, September 26, 2023

कारगिल विजय दिवस: नींबू साहब ने माइनस 10 डिग्री तापमान में जूते उतारकर कि चढ़ाई, दुश्मनों का होश उड़ा दिया।

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नेइकेजाकुओ केंगुरुसे की कहानी: कारगिल विजय दिवस पर देश के वीर योद्धाओं को याद किया जा रहा है और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस मौके पर नागालैंड के वीर सपूत और सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन नेइकेजाकुओ केंगुरुसे (Neikezhakuo Kenguruse) की शहादत की कहानी सिहरान पैदा करती है और देशवासियों को गर्व से भर देती है। कारगिल युद्ध में दुश्मन के चार सैनिकों को ढेर कर देने वाले 25 वर्षीय केंगुरुसे को उनके दोस्तों प्यार से ‘नींबू’ और साथी जवान ‘नींबू साहब’ कहकर बुलाते थे।

बर्फीली चट्टान पर चढ़ाई के लिए उतार दिए थे जूते

सन् 1999, 28 जून की रात, द्रास सेक्टर की बर्फीली चट्टान पर दुश्मन को धिक्कर देने के लिए उत्सुक होते हुए, उस समय कारगिल युद्ध के अभियान में शामिल कैप्टन केंगुरुसे के पैर फिसल गए थे। चढ़ाई करने के लिए, केंगुरुसे ने ठंड में अपने जूते उतार दिए थे।

घायल होने के बाद भी हार नहीं मानी

गैलेंट्री अवार्ड्स की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, कैप्टन केंगुरुसे और उनकी पलटन ने दुश्मन की मशीन गन पर हमला करने के लिए एक बर्फीली चट्टान पर चढ़ाई शुरू की थी। जैसे ही पलटन चट्टान के पास पहुंची, उन्हें दुश्मन की गोलियों का सामना करना पड़ा और कैप्टन केंगुरुसे के पेट में गोली लग गई।

शरीर से अत्यधिक खून बहने के बाद भी केंगुरुसे ने हार नहीं मानी और साथी जवानों को आगे बढ़ने के लिए उनमें जोश भरते रहे। दुश्मन की मशीन गन के बीच चट्टान की दीवार थी। केंगुरुसे नं

गे पैर रॉकेट लॉन्चर लेकर चट्टान की दीवार पर चढ़ गए और अपनी जान को खतरे में डालते हुए उसे नष्ट करने के लिए रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल किया।

दुश्मन के चार सैनिकों को किया ढेर, महावीर चक्र से सम्मानित

खास वीरता से भरी एक कहानी है, जो कारगिल विजय दिवस के अवसर पर देशवासियों को गर्वान्वित कर रही है। इस कहानी का मुख्य पात्र है नागालैंड के धरोहर योद्धा, सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन नेइकेजाकुओ केंगुरुसे (Neikezhakuo Kenguruse) जिन्होंने कारगिल युद्ध में दुश्मन के चार सैनिकों को ढेर कर दिया था। उन्हें भारतीय सेना द्वारा महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

कारगिल युद्ध के समय, एक बार उन्होंने अपनी चाकू से दो दुश्मन सैनिकों को और दो अन्य सैनिकों को अपनी राइफल से ढेर कर दिया था। उन्होंने खुद को एकमात्र शूरवीर साबित किया जब उन्होंने अकेले ही दुश्मन की मशीन गन को नष्ट कर दिया, जो बटालियन को आगे बढ़ने में बाधा डाल रही थी। यह वीरता पूरे युद्ध में उन्हें घायल होने का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने जोश और साहस से दम तोड़ दिया और वीरगति को प्राप्त की।

रक्षा मंत्रालय ने उनके इस सर्वोच्च बलिदान को महावीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया, जिससे उनकी शौर्य और वीरता की प्रशंसा विशेष रूप से की गई।

कैप्टन केंगुरुसे एक योद्धा समुदाय से थे और उन्हें उनके परदादा का साहस और प्रेरणा बना। उनके परदादा एक सम्मानित योद्धा थे, जो उनके गांव में हमेशा से याद किए जाते हैं। केंगुरुसे का जन्म नगालैंड के कोहिमा के नेरहेमा गांव में हुआ था और उनके पिता का नाम नीसेली केंगुरुसे (Neiselie Kenguruse) और मां का नाम दीनुओ केंगुरुसे (Dinuo Kenguruse) था।

उन्होंने कोहिमा साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी और सेना में शामिल ह

ोने से पहले एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करते थे। फिर, 12 दिसंबर 1998 को उन्हें भारतीय सेना की सेना सेवा कोर (ASC) में नियुक्त किया गया और उन्होंने 2 राजपूताना राइफल्स के साथ कार्य किया। उन्हें ASC से महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, जिससे उनकी वीरता को और उजागर किया गया।

देशवासियों के लिए एक अभिमान की कहानी है नागालैंड के ये वीर योद्धा, जिन्होंने अपने देश के लिए अदम्य संकल्प और आत्मबलिदान का प्रदर्शन किया। उनकी शहादत एक अमर गाथा बन गई है, जो देशवासियों के दिलों में सदा तक बसी रहेगी।

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर हम उन वीर सपूतों को याद करते हैं, जिन्होंने युद्ध में अपनी जान न्यौछावर कर दी थी। उनका बलिदान हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेगा और हमें हमेशा गर्व महसूस कराएगा।

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