देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मामले में बहस के बीच कांग्रेस के प्रमुख नेता और राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी बात रखी है कि बिना किसी ठोस प्रस्ताव के इस पर चर्चा करना ‘हवा में तीर छोड़ने’ के समान है और सरकार ने जनता से जुड़े मुद्दों को भटकाने के लिए इसे ‘गुगली’ बनाया है। सचिन पायलट ने आरोप लगाया है कि सरकार ने अभी तक यूसीसी के मामले में कोई प्रस्ताव या खाका पेश नहीं किया है, लेकिन उन्होंने कहा है कि वे इसे राजनीतिक टूल के रूप में उपयोग कर रही हैं
ठोस प्रस्ताव के बिना यूसीसी पर चर्चा करना ‘हवा में तीर छोड़ने’ जैसा है
उन्होंने यूसीसी के मामले में बहस की और कांग्रेस के मुद्दे पर सवाल पूछने पर उन्होंने कहा, “समान नागरिक संहिता क्या है, कोई विधेयक आया है, कोई प्रस्ताव आया है, कोई खाका तैयार किया गया है, पता ही नहीं है। यूसीसी के नाम पर अलग-अलग लोग, अलग-अलग दल, अलग-अलग धर्मगुरु अपनी राय दे रहे हैं।” राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने सवाल पूछा, “सरकार का प्रस्ताव क्या है, संसद की स्थाई समिति क्या कह रही है, कोई विधेयक आया है, यूसीसी की परिभाषा क्या है?” पायलट ने कहा कि यूसीसी पर ठोस प्रस्ताव के बिना बात करना ‘हवा में तीर चलाने’ के समान है।
केंद्र सरकार जनता के ध्यान को जानबूझकर भटकाने का काम करती है।
कांग्रेस नेता ने कहा, “सरकार ने एक ‘गुगली’ डाल दी है, इसे चर्चा और बहस करते रहें। किसी प्रस्ताव के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है.” पायलट ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जानबूझकर ध्यान भटकाने का काम करती है, जिससे महंगाई और जनता से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा नहीं होती। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अगर किसी वंचित, चाहे वह पुरुष हो या महिला, को अधिकार देना है या मान-सम्मान देना है, संपत्ति का अधिकार देना है, सशक्त बनाना है, तो फिर किसे आपत्ति हो सकती है, लेकिन इसे लेकर कोई ठोस प्रस्ताव ही नहीं है, यह सिर्फ राजनीतिक टूल के रूप में इस्तेमाल किया गया है।”
विधि आयोग ने यूसीसी के मामले में लोगों से राय मांगी है।
यूनिफाइड कोड पर समान कानून लागू करने की योजना, विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के लिए है। जब इसे लागू किया जाएगा, तो यह देश के सभी नागरिकों पर प्रभाव डालेगा। यहां धर्म, जाति, समुदाय या स्थानीय परंपराओं के आधार पर कानून में कोई भेदभाव नहीं होगा। विधि आयोग ने यूसीसी पर लोगों से राय मांगी है।